गढ़वाली संगीत का एक अलग ही आकर्षण होता है, जो पहाड़ों की आत्मा से जुड़ा हुआ महसूस होता है। नया गीत रचू गैल्याणी एक ऊर्जावान और भावनात्मक गीत है जो गढ़वाली संस्कृति की सच्ची झलक दिखाता है। यह गीत लोक संगीत प्रेमियों को आकर्षित करेगा। साथ ही, पहाड़ी धुनों और पारंपरिक ध्वनियों को पसंद करने वालों को भी पसंद आएगा।
इस गाने के बोल गढ़वाली संस्कृति और लोक धुनों की विरासत को दर्शाते हैं। इसे सुनते ही पहाड़ों की हरी-भरी घाटियां, झरने और प्राकृतिक सौंदर्य का अहसास होता है। नीचे इस गाने के सम्पूर्ण बोल दिए गए हैं।
तिजोरा की ताली गैल्याणी x2
हिट घुमण जोला गैल्याणी
मेरा ते मयाली गैल्याणी
हे रचू रे सची गैल्याणी
मेरा ते मयाली गैल्याणी
बाँजा का अंगार गैल्याणी x2
हिट घुमण जोला गैल्याणी
मेरा ते बांगर गैल्याणी
सची हे रचू रे मेरी गैल्याणी
मेरा ते बांगर गैल्याणी
छम्म धोली जाल गैल्याणी x2
हिट घुमण जोला गैल्याणी
मेरा ते बधानी गैल्याणी
हे रचू रे सची गैल्याणी
मेरा ते बधानी गैल्याणी
सोना की जंदीर गैल्याणी x2
त्वे घूमेगी ल्योलू गैल्याणी
बासुदेव मंदिर गैल्याणी
हे रचू रे सची गैल्याणी
बासुदेव मंदिर गैल्याणी
गीत के बारे में

- गीत का नाम: रचू गैल्याणी
- गायक: जगतंबा भक्तवान
- भाषा: गढ़वाली
- रिलीज वर्ष: 2025
यह गीत पारंपरिक गढ़वाली धुनों को आधुनिक शैली से जोड़ता है। लोक संगीत प्रेमियों के लिए यह एक शानदार अनुभव है। इसके कर्णप्रिय बोल और मधुर संगीत उत्तराखंड की संस्कृति को दर्शाते हैं। वाद्य यंत्रों की ध्वनि इसे और भी आकर्षक बनाती है। यह गीत उनकी संस्कृति और परंपराओं को जीवंत रखने में सहायक होगा।
इस गाने को सुनकर पहाड़ी त्योहारों और मेलों की यादें ताजा हो जाती हैं। यह मधुर और आनंददायक गीत सुनने और गाने, दोनों के लिए उपयुक्त है। इसकी धुन से मन को सुकून मिलता है।